जब उसकी ही अगर मर्ज़ी नहीं है..
किसी की फिर यहां चलती नहीं है..
यहां पे मौत भी सस्ती नहीं है..
पियाला है मगर व्हिस्की नहीं है..
ये समझें देख कर दुनिया के ग़म को,
हमारा ग़म अभी कुछ भी नहीं है
मोहब्बत क्लास है जिसमें कभी भी,
ख़याल-ए-यार से छुट्टी नहीं है..
हमारे पास लेे के आइए दिल,
हमारी हुस्न से बनती नहीं है..
नहीं मुमकिन यहां पे ख़ुदकुशी भी
है पंखा तो मगर रस्सी नहीं है
सदा तो दूर नइ है रौशनी भी,
दर-ए-ज़िंदान है खिड़की नहीं है..
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