रही मर्जी बस उसकी ही जिसे जैसा बना डाला
कभी जो ताज था सिर का उसे कासा बना डाला
किसी के हिस्से में अाई है हरियाली ही हरियाली
किसी के हिस्से सहरा और बस सहरा बना डाला
बनाई भी ज़मीं उसने तो इक जैसी नहीं ये भी
कहीं सहरा कहीं जंगल कहीं दरिया बना डाला
बनाने वाले के हाथों की है कारीगरी ये सब
ज़मीं पे भी कोई चेहरा ख़ुदा जैसा बना डाला
हम ऐसों को बना कर के ख़ुदा उकता गया था फिर
तिरी आंखें बना डाली तिरा चेहरा बना डाला
बनाना था उसे दरिया संभाले एक साहिल को
तो इक तुझ सा बना डाला फिर इक मुझ सा बना डाला
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