इस लेख में हम “अंकित मौर्या के 10 सबसे उम्दा ग़ज़लों का संग्रह – Ankit Maurya Top Ghazal Collection” आपलोगों के साथ शेयर कर रहे हैं। इन सभी ग़ज़लों को पढ़ने के बाद अपनी राय कमेंट में जरूर दें।
अंकित मौर्या बिहार के शौर्य भूमि भोजपुर जिले के बिहियां के बनाही गांव से आते हैं तथा आरा शहर में पले-बढ़े हैं। वर्तमान में वीर कुँवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा से स्नातक कर रहे हैं। आरा शहर में ही ‘राहत इंदौरी’ और ‘कुमार विश्वास’ जैसे पुरोधाओं को प्रत्यक्ष सुनकर इनका रुझान गीत-ग़ज़लों में हुआ और आज स्वयं इस क्षेत्र में बिहार का नाम रौशन कर रहे हैं।
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Ankit Maurya Ghazals | Best Ghazal of Ankit Maura
1. हो कभी गर तुझको दरिया की रवानी देखना,
हो कभी गर तुझको दरिया की रवानी देखना,
तो तू हम जैसे दी’वानों की कहानी देखना.
चढ़ते देखी एक चींटी मैंने इक दीवार पर,
उस से सीखा ख़्वाब मैंने आसमानी देखना.
देखने भर से तुम्हें है मिलता इस दिल को सुकून,
चाहता हूं तुमको सारी ज़िन्दगानी देखना.
शे’र के पहले ही मिसरे में लिखा है उसका नाम,
फिर नहीं है अब तो मुमकिन इसका सानी देखना.
बैठना आ के किसी शब साथ मेरे और फिर,
इन खुश आंखों से तू गिर्ये की रवानी देखना.
चाहिए जितना मैं उसको बातों में हूं ला चुका,
अब बदन पे वस्ल की है बस निशानी देखना.
2. है ज़रूरी मेरी ज़िन्दगी के लिए
है ज़रूरी मेरी ज़िन्दगी के लिए
लौट आओ घड़ी दो घड़ी के लिए
तेरे जाने से ऐसी हुई तीरगी
दिल जलाना पड़ा रौशनी के लिए
हमने देखी है उनकी भी रंगीनियां
वो जो मशहूर हैं सादगी के लिए
जान जाती है यूं तो जुदाई में पर
हम जुदा होंगे तेरी खुशी के लिए
राह तकती हैं मेरी भी नदियां कई
ख़ुद को प्यासा रखा इक नदी के लिए
हौसला है तो लड़ ज़िन्दगी से ऐ दोस्त
बुज़दिली चाहिए ख़ुदकुशी के लिए
3. बांट डाले ऐसे हमने दिल के टुकड़े काट कर..
बांट डाले ऐसे हमने दिल के टुकड़े काट कर..
जन्मदिन पे बांटते हैं केक जैसे काट कर..
इक अंगूठी ले न पाएं उतने में उसके लिए,
जोड़ रक्खे थें जो पैसे ज़ेब खर्चे काट कर..
हम नदी के दो किनारे मिलना तो मुमकिन नहीं,
पर मिलेंगे एक दिन दोनों किनारे काट कर..
हौसलों पे उन परिंदों के न करना शक कभी,
है रिहा होना जिन्हें पिंजरा परों से काट कर..
इश्क़ जिसमें ना बिछड़ने का ज़रा भी डर रहे,
खेलना है खेल पर सांपों के खाने काट कर..
ज़िन्दगी से ऐसे काटा सीन उसने इश्क़ का,
देखता है कोई जैसे फ़िल्म गाने काट कर..
4. सभी फ़नकार लेकर जी रहे हैं
सभी फ़नकार लेकर जी रहे हैं
कई किरदार लेकर जी रहे हैं
करेंगी क्या किसी की बद्दुआएं.?
किसी का प्यार लेकर जी रहे हैं
किसी ने हमको चाहा चार दिन तक
वही दिन चार लेकर जी रहे हैं
हमारे सर पे आईं सब बलाएं
हमारे यार लेकर जी रहे हैं
सुख़न का इल्म उनको भी मिले जो
मेरे अश’आर लेकर जी रहे हैं
5. कहा था तुमने ही मुझको ऐसा कि ऐसी शोहरत बिगाड़ देगी
कहा था तुमने ही मुझको ऐसा कि ऐसी शोहरत बिगाड़ देगी
अब आ के देखो तो फिर कहोगे कि इतनी वहशत बिगाड़ देगी
बहुत यक़ी से कहा है उसने अगर कभी हम अलग हुए तो
तुम्हें हमारी हमें तुम्हारी यही ज़रूरत बिगाड़ देगी
मैं साथ था तो नहीं थी दुनिया की फ़िक्र तुमको,प’बाद मेरे
ख़याल रखना ये ऐसी दुनिया तुम्हारी हालत बिगाड़ देगी
हमारी किस्मत में और क्या है, उदास नज़्में, अधूरी ग़ज़लें,
हमारी सोहबत से दूर रहिए, हमारी सोहबत बिगाड़ देगी..
इसी तरह गर तुम्हारे नखरे रहा उठाता मैं सर पे अपने
तो है ये मुमकिन कि जान तुमको मेरी मोहब्बत बिगाड़ देगी
मुझे हुई है ये बात मालूम बाद मिलने के उस से यारों
बिगाड़ देगी,बिगाड़ देगी वो लड़की आदत बिगाड़ देगी
6. हदें बढ़ने लगी थीं तीरगी की,
हदें बढ़ने लगी थीं तीरगी की,
कमी जब हो गई थी रौशनी की.
ख़ुदा तू ही बता किस बात पे ये,
सज़ा हमको मिली है ज़िन्दगी की.
कोई करता नहीं है इंतिज़ार अब,
ज़रूरत ही नहीं पड़ती घड़ी की.
करें दुनिया जहां की फ़िक्र क्यों हम.?
हमारी उम्र है आवारगी की.
हम इक मुद्दत से रोए जा रहे हैं,
चुकानी पड़ रही क़ीमत हंसी की.
मैं खा कर चोट दिल पे सोचता हूं,
मुझे क्या थी ज़रूरत दिल-लगी की.
खुशी में याद भी आता नहीं जो,
जब आया ग़म उसी की बंदगी की.
मैं अब हर चीज़ से उकता चुका हूं,
मुझे मत दो दुआएं ज़िन्दगी की.
7. रब्त को ऐसे रुस्वा मत कर
रब्त को ऐसे रुस्वा मत कर
गुस्सा कर ले झगड़ा मत कर
हाथ पकड़ ले पागल मेरा
मर जाऊंगा तन्हा मत कर
उसकी पलकें झुक जाती हैं
उसको ऐसे देखा मत कर
पेशानी पे बल आएंगे
इतना भी तू सोचा मत कर
तुझको मुझसे प्यार हुआ है.?
रोक ले ख़ुद को ऐसा मत कर
अगर बनाया तो काम में ला
मुझको यूँ हीं ज़ाया मत कर
मैं था वो थी रात हसीं थी
इसके आगे पूछा मत कर
8. बुरा है हाल इस दर्जा हमारा,
बुरा है हाल इस दर्जा हमारा,
कोई भी शख़्स नइ होता हमारा..
हमारे दरमियां दुनिया खड़ी है,
बहुत मुश्किल है जां मिलना हमारा..
उसे भी रास्ता कोई न देगा,
वो जिसने रोका है रस्ता हमारा..
अचानक कह दिया के फिर मिलेंगे
नहीं था ठीक फिर रुकना हमारा
रखी थी ले के कॉपी हम ने उसकी,
खुशी से झूम उठा बस्ता हमारा..
तो क्या ये बात भी कहनी पड़ेगी.?
तेरे बिन जी नहीं लगता हमारा
हमें है याद वो इक आख़िरी कॉल,
और उस के बाद का रोना हमारा..
तुम्हें तो सच में ऐसा लगता है ना..?
कभी भी दिल नहीं दुखता हमारा
9. हमीं करते थे दिन रौशन तुम्हारा.
हमीं करते थे दिन रौशन तुम्हारा.
हमीं से भर गया अब मन तुम्हारा.
उदासी आ लगे मेरे गले से,
हो खुशियों से भरा दामन तुम्हारा.
नहीं जाती तुम्हारी ख़ुशबू याँ से,
है मेरे पास पैराहन तुम्हारा.
किसी ने पूछा था हमसे ख़ुदा है.?
ज़ुबां पे नाम था रस्मन तुम्हारा.
दिलों को तोड़ना तुम जानते हो,
यही तो है मेरी जाँ फ़न तुम्हारा.
हैं सीता की तरह हम घर से निकले,
तो यानी राम सा था मन तुम्हारा.
उसी आंगन के टुकड़े कर रहे हो,
जहां खेला कभी बचपन तुम्हारा.
10. रोते रहता है दीवार से लगकर पागल है,
रोते रहता है दीवार से लगकर पागल है,
सुनता हूं अपने बारे में अक्सर पागल है..
जिसको पाने की खातिर कब से पागल था मैं,
उसने मुझसे हाथ छुड़ाया कहकर पागल है..
जो हमको नइ करने थे वो सारे काम किए,
कौन भला दुनिया में हम से बढ़कर पागल है..
तेरी राहें तकते-तकते हो गए पत्थर हम,
अब तो इसको हाथ लगा दे पत्थर पागल है ..
एक परी ने जब से उसमें पांव भिगोएं हैं,
चाट रहा है साहिल यार समन्दर पागल है..
शायर: अंकित मौर्या / @kuchhalfaz_ankit
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नये जमाने के नाम में एक नाम अंकित भैया का भी है, क्योंकि इन्होंने जो भी शायरी या ग़ज़ल कहा है,सब के सब नये जमाने के शायरी हैं। मुझे गर्व है कि मैं उनके सानिध्य में ग़ज़ल कहा रहा हूं।
अंकित भैया आप हम सबके मुहब्बत हैं।