Poem on Bihar in Hindi: दोस्तों अगर आप बिहार पर कविताएं ढूंढ रहे है तो बिलकुल सही वेबसाइट पर आये हैं। हम इस पोस्ट में बिहार के ऊपर (Poem on Bihar) बहुत ही लोकप्रिय कविताएं आपके साथ शेयर कर रहे हैं। इन सभी कविताओं में कवि बिहार पर बहुत ही महत्वपूर्ण बातों का वर्णन किया हैं।
यह Poem on Bihar के सभी कविताओं के निचे लेखक का नाम भी अंकित किया गया हैं जिससे आप उन्हें आसानी से ढूंढ सके। इन सभी कविताओं में से अपनी पसंदीदा पंक्ति निचे कमेंट बॉक्स में जरूर छोड़े।
Post Contents
10 Best Hindi Poems on Bihar.
1. हम बिहार तो छोड़ आये, पर बिहारीपन नहीं भूलें।
गांव की गलियों में गुजरा अभी बचपन नहीं भूलें।
हम बिहार तो छोड़ आये, पर बिहारीपन नहीं भूलें।।
भाषा की मिठास और रिश्तों का अपमान नहीं भूलें।
हम बिहार तो छोड़ आये, पर बिहारीपन नहीं भूलें।
नये मकान में आकर भी हम वो आंगन नहीं भूलें।
हम बिहार तो छोड़ आये, पर बिहारीपन नहीं भूलें।।
वो मेला हाट, वो कोशी घाट, और अल्हड़ पानी नहीं भूले।
हम बिहार तो छोड़ आये, पर बिहारीपन नहीं भूलें।।
गिल्ली डंडा और कुस्ती का वो फन नहीं भूले।
हम बिहार तो छोड़ आये, पर बिहारीपन नहीं भूलें।।
भूलना था बहुत आसान पर हम आदतन नहीं भूलें।
हम बिहार तो छोड़ आये, पर बिहारीपन नहीं भूलें।।
हाँ, हम बिहार तो छोड़ आये, पर बिहारीपन नहीं भूलें।।
लेखक: – अज्ञात
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2. अजी हाँ! बिहार हूँ मैं।।
महावीर की तपस्या हूँ,
बुद्ध का अवतार हूँ मैं।
अजी हाँ! बिहार हूँ मैं।।
सीता की भूमि हूँ, विद्यापति का संसार हूँ मैं।
जनक की नगरी हूँ, माँ गंगा का श्रंगार हूँ मैं।
अजी हाँ! बिहार हूँ मैं।।
चंद्रगुप्त का साहस हूँ, अशोक की तलवार हूँ मैं।
बिंदुसार का शासन हूँ, मगध का आकार हूँ मैं।
अजी हाँ! बिहार हूँ मैं ।।
दिनकर की कविता हूँ, रेणु का सार हूँ मैं।
नालंदा का ज्ञान हूँ, पर्वत मन्धार हूँ मैं।
अजी हाँ! बिहार हूँ मैं।।
वाल्मिकी की रामायण हूँ, मिथिला का संस्कार हूँ मैं।
पाणिनी का व्याकरण हूँ, ज्ञान का भण्डार हूँ मैं।
अजी हाँ! बिहार हूँ मैं।।
राजेन्द्र का सपना हूँ, गांधी की हुंकार हूँ मैं।
गोविंद सिंह का तेज हूँ, कुंवर सिंह की ललकार हूँ मैं।
अजी हाँ! बिहार हूँ मैं।।
3. मैं बिहार हूँ – Mai Bihar Hun (Bihar Poem in Hindi)
जानकी का जन्मस्थान, संविधान का उत्थान हूँ,
भगवान महावीर का त्याग, और बुद्ध का मैं ज्ञान हूँ,
मैं बिहार हूँ!!
चंद्रगुप्त की वीरता, चाणक्य की चतुरता,
वीर कुंवर का साहस, और अशोक महान हूँ,
मैं बिहार हूँ!!
गुरु गोविंद की याद, लिट्टी-चोखा का स्वाद हूँ,
वाल्मीकि का काव्य, और राजनीति का प्राण हूँ,
मैं बिहार हूँ!!
पवित्र गंगा की धार, प्यार की बौछार हूँ,
बुद्धिमता से परिपूर्ण, परंपराओं की खान हूँ,
मैं बिहार हूँ!!
लेखक: – ज्योति गुप्ता
4. मैं एक बिहारी हूँ। – Mai Ek Bihari Hun.
मजबूत नहीं हूँ आज, पर मजबूर नहीं हूँ,
मैं एक बिहारी हूँ साहब, पर लाचार नहीं हूँ।
गणित का जन्मदाता हूँ, पर अहंकारी नहीं हूँ,
मैं रुप का बैरागी हूँ साहब, पर भिखारी नहीं हूँ।
कपड़ा गन्दा है आज, पर दिल मैला नहीं है,
मैं एक राही हूँ साहब, पर कोई थैला नहीं है।
जेब खाली है, पर किसी से कुछ माँगा नहीं हूँ,
मैं एक गरीब हूँ साहब, पर अभी भूखा नहीं हूँ।
अपनों का साथ छूटा है, पर अभी टूटा नहीं हूँ,
मैं एक पिता हूँ साहब, पर झूठा नहीं हूँ।
अर्थिक स्थिति खराब है, पर अभी झुका नहीं हूँ,
मैं थोड़ा थका हूँ साहब, पर अभी रुका नहीं हूँ।
दिल में बहुत दर्द है, पर कभी पीता नहीं हूँ,
मैं निर्धन हूँ साहब, पर कभी रोता नहीं हुँ।
कुछ इंसान ने धोखा दिया, पर साथ छोड़ा नहीं हूँ,
मैं एक समाज हूँ साहब, पर अभी बिखरा नहीं हूँ।
लेखक: – आकाश मिश्रा | @akashmishra.official
5. बिहार है मेरा नाम Bihar Hain Mera Naam
माँ सीता की जन्मस्थली हूँ मैं,
लीची हमारी पहचान,
बापू का चम्पारण हूँ मैं,
महात्मा बुद्ध का ज्ञान,
बाबू वीर कुँवर का बलिदान हूँ मैं,
मेहनत अपना इमान,
शेरशाह का साहस हूँ मैं,
आर्यभट का अभिमान,
दीघा का दिघवारा हूँ मैं,
पटना हमारी जान,
गंगा की कल-कल धारा हूँ मैं,
पाटलिपुत्र है पुराना नाम,
देखों मैं हूँ भारत का अभिमान
बिहार है मेरा नाम।
गया का मोक्ष हूँ मैं,
नालंदा विश्वविद्यालय जैसा ज्ञान,
पुरातत्व के लिए खोज हूँ मैं,
सौ पर भारी है अपना नाम,
मिथिला का मिठास हूँ मैं,
मधुबनी पेंटिंग से विश्व में नाम,
राष्ट्रकवि दिनकर की कविता हूँ मैं,
विधापति जैसा महान,
गुरु विश्वामित्र की नगरी हूँ मैं,
बक्सर है मेरा नाम,
लोकगीत की किलकारी हूँ मैं,
भोजपुरी है अपनी पहचान,
देखो मै हूँ भारत का अभिमान
बिहार है मेरा नाम।
लेखक: – दीपक कुमार | @poetdeep
6. बिहार हूँ मैं – Bihar Hu Mai (Hindi Poem on Bihar)
चाणक्य सा ज्ञानी हूँ मैं
जनक सा स्वाभिमानी हूँ मैं
मांझी सा जिद्दी हूँ मैं
बोधगया में सिद्धि हूँ मैं
आर्यभट सा गणितज्ञ हूँ मैं
राजेंद्र प्रसाद सा राजनितज्ञ हूँ मैं
अशोक स्तंभ के शेर की दहाड़ हूँ मैं
अभी चल अधिक बिहार हूँ मैं
मिथिला सा मिठास हूँ मैं
वैशाली सा इतिहास हूँ मैं
सात शहीद का रक्त हूँ मैं
लोकनायक सा देश भक्त हूँ मैं
गुरु गोविन्द सा बलवान हूँ मैं
मैत्रई का अद्धभुत ज्ञान हूँ मैं
अपना वजूद लिए बरकरार हूँ मैं
अभी चल अधिक बिहार हूँ मैं
मगध सा सम्राज्य हूँ मैं
हिन्द के सर का ताज हूँ मैं
पटना सा प्यारा हूँ मैं
भोजपुरी सा आवारा हूँ मैं
शिक्षा केंद्र विक्रमशिला हूँ मैं
कोशी की विनाश लीला हूँ मैं
गणतंत्र का प्रथम प्रहार हूँ मैं
अभी चल अधिक बिहार हूँ मैं
छठ सा धार्मिक हूँ मैं
विद्यापति सा मार्मिक हूँ मैं
दिनकर सा कवि हूँ मैं
बुद्धा की पावन छवि हूँ मैं
शांति स्तूप सा मजबूत हूँ मैं
करोड़ो दिलों का एक परिवार हूँ मैं
अभी चल अधिक बिहार हूँ मैं
लेखक: – अज्ञात
7. मेरा बिहार – Mera Bihar (Bihar Par Kavita)
यहां आर्यभट्ट का ज्ञान है, और बिस्मिल्लाह की तान है
जहां सीता का स्वाभिमान है, और दिनकर का गान है,
ऐसे पुण्य बिहार को शत-शत बार प्रणाम है।
देश का मान बढ़ाया है इसने, इतिहास गवाही देता है
हां सत्य अहिंसा पनपी थी, इतिहास गवाही देता हैं
यहां के सृजित बीजे से अकंकृत हमारा समाज हैं (सच्चिदानन्द सिन्हा एवं राजेंद्र प्रसाद)
ऐसे पुण्य बिहार को शत-शत बार प्रणाम है।
याद को सन् सत्तावन ने क्रांति का अलख जगाया था
इस बिहार के कुंवर सिंह ने फिरंगी को धूल चटाया था ।
देश की रक्षा के खातिर इसके कई सुत कुर्बान हैं
ऐसे पुण्य बिहार को शत-शत बार प्रणाम है।
लेखक: – सोमा मित्रा | @soma1204mitra
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8. मैं माटी हूँ इस पटना की – Main Maati Hun Is Patna Ki
पाप की गठरी अब भर चुकी, गंगा में आकर नहा लेना।
मैं माटी हूँ इस पटना की, तुम साथ अपने मुझे बहा लेना।
जब सत्ता की लफ्फाज़ी से गरीब भी सपने बुन लेता।
मैं गाँधी मैदान सा खामोश रहकर, हर झूठ सुन लेता।
तुम जय श्री राम बोलते हो, वो इंशाल्लाह की धुन देता।
मैं महावीर मंदिर सा पावन हूँ, हर बार अज़ान सुन लेता।
पैसेंजर ट्रेन से प्रदेश जाकर, तुम जब खूब पैसे कमा लेना।
मैं माटी हूँ इस पटना की, तुम साथ अपने मुझे बहा लेना।
उम्मीद करूँ क्या दूसरों से, हर बार अपनो से हारी हूँ।
फिर भी कभी धैर्य न खोया, मैं बापूधाम मोतिहारी हूँ।
कोई बिहारी कहकर अपमान करे, तुम बस मुस्कुरा देना।
मुज़फ़्फ़रपुर का लीची बन कर, स्वाद सबको चखा देना।
पहली तारीख को घर पैसे भेजकर, खुद को भूखे सहा लेना।
मैं माटी हूँ इस पटना की, तुम साथ मुझे अपने बहा लेना।
बड़े शहरों की अंधेरी रातों में, अपने संस्कार बचा लेना।
पिज्जा-बर्गर की दुनिया मे, घर का अचार भी खा लेना।
होली-दीवाली अकेले तुम, बिना घर आये तुम मना लेना।
छठ पर्व जब भी पुकारे, तुम बिना रुके घर को आ लेना।
जब गाँव आकर परदेश से, तुम भी बड़े बाबू कहवा लेना।
मैं माटी हूँ इस पटना की, तुम साथ अपने मुझे बहा लेना।
लेखक: – Vihaan
9. दुनिया से पहले बिहार घूमते हैं – Duniya Se Pahle Bihar Ghumte Hain.
की मुझे जनवरी पसंद हैं, तुम्हे अगस्त
मुझे कॉफी पसंद है, तुम्हे चाय
मुझे रुकना पसंद है, तुम्हे घूमना
मुझे पहाड़ पसंद है, तुम्हे नदियाँ
मुझे अपना बिहार पसंद है, तुम्हें दुनिया
इस पसंद नापसंद के चक्कर में हमें दूर होना जरूरी है क्या?
एक शहर रोहतास ढूंढा हैं, जहाँ पहाड़ भी है और नदियाँ भी इस शहर में रुकना भी घूमने सा हैं।
झील किनारे तुम्हारी चाय अगस्त सी खामोशी और मेरी कॉफी जनवरी सा सुकून देगी।
दुनिया से पहले अपना राज्य घूमते हैं, जिला शहर और अपना गांव घूमते हैं।
सुबह और शामें एक से ही हैं, नदी और झरने एक से ही हैं।
लोग और अपने एक से ही हैं, साथी और सपने एक से ही हैं।
हम और तुम एक से ही हैं, मुझे तुम पसंद हो तुम्हे ‘मैं’
चलो फिर दुनिया से पहले अपना राज्य घूमते हैं, जिला शहर और अपना गांव घूमते हैं।
जो हैं जैसा है बस साथ-साथ घूमते है. साथ-साथ घूमते हैं।
लेखक: – Shamपा
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